ट्रेनों में सवार होने से पहले यात्रियों को रेलवे स्टेशनों पर लगाए जाने वाले सैनिटाइजर चेंबर संजीवनी में से निकलते वक्त सैनिटाइज किया जाएगा। हर घंटे 500 से ज्यादा यात्रियों को इस चैंबर से गुजरते वक्त सैनिटाइज होंगे। हालांकि यात्रियों को 3 से लेकर 4 घंटे पहले ट्रेन में सवार होने स्टेशन बुलाया जाएगा, जिससे उन्हें सैनिटाइज करने के साथ ही उनकी थर्मल स्कैनिंग भी की जा सके।
रेल अधिकारियों का कहना है कि हम यात्रियों की सेफ्टी का पूरा ध्यान रखेंगे और उन्हें स्टेशन व ट्रेन में कोई संक्रमण न फैले, इसकी पूरे पूरे प्रयास किए जाएंगे। हालांकि कोरोना संक्रमण को देखते हुए लॉकडाउन की अवधि को 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है, ऐसे में ट्रेनों के संचालन की संभावना कम है, लेकिन रेलवे अपनी तरफ से पुख्ता तैयारियां रखना चाहती है।
यात्रियों को सैनिटाइज करना बड़ी चुनौती
15 अप्रैल से सीमित संख्या में ट्रेनों को शुरू किए जाने की संभावनाओं को लेकर रेलवे में रायशुमारी अंतिम दौर में चल रही है। ऐसे में रेल अधिकारी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि रेलवे स्टेशनो पर पहुंचने वाले यात्रियों को ही अच्छी तरह से सैनिटाइज कर दिया जाए तो संक्रमण को काफी हद तक फैलने से रोका जा सकता है। इसलिए रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों को स्प्रे के माध्यम से सैनिटाइज करने की व्यवस्था की जा रही है। हालांकि उसके बाद यात्रियों की थर्मल स्कैनिंग की व्यवस्था को किस तरह क्रियान्वित किया जाए, इस पर रेल अधिकारियों में सहमति नहीं बन पा रही है। अधिकतर रेल अधिकारी इस बात से सहमत हैं कि यात्रियों की थर्मल स्कैनिंग ट्रेन में सफर के दौरान स्टाफ तैनात करके की जाए। इससे समय की बचत होगी और जरूरत के मुताबिक यात्रियों को मदद भी प्रदान की जा सकेगी।
रेलवे ने ट्रेनों में बनाया आइसोलेशन वार्ड
इसके पहले भोपाल रेलवे ने कोरोना मरीजों के लिए ट्रेनों को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील किया गया था। निशातपुरा कोच फैक्ट्री में इसके लिए 250 से ज्यादा रेलवे इंजीनियर और स्टॉफ की मदद से 24 कोच वाले आइसोलेशन वार्ड तैयार किए गए थे। इसमें एक कोच को एक वार्ड बनाया गया है। इन्हें एडवांस में बनाया गया है, ताकि जरूरत पड़ने पर लोगों को यहां पर कोरोना संक्रमितों को लाकर इलाज किया जा सके